मेरी किटी पार्टी की सभी सहेलियां वैलेंटाइन डे सेलिब्रेशन के बारे में बताती हैं तो मैं अंदर ही अंदर मन मसोसकर रह जाती हूं। क्या बताउं मैं अपनी सहेलियों को? ये बताउं कि मेरे पति को ये सब चोचलेबाजी लगती हैं!
''मैडम, कल मैं रोज से थोड़ा जल्दी काम पर आउंगी क्योंकि मुझे घर जल्दी जाना हैं।'' मेरी काम वाली बाई प्रतिमा ने मुझ से कहा।
''क्यों, कहीं जाना हैं क्या?''
''अरे...वो...आपको तो पता हैं न मैडम कल क्या हैं?''
''क्या हैं कल? तुझे कल कहां जाना हैं, ये मुझे कैसे पता होगा?''
''क्या मैडम, आप भूल जाती हैं! कल वैलेंटाइन डे हैं न! इसलिए मेरा घरवाला कल मुझे पिक्चर देखने ले जाने वाला हैं। पिक्चर के पहले वो मुझे कांच की चुडियां दिलवायेगा और पिक्चर के बाद वो जो नई होटल खुली हैं न, उसी में खाना खाने भी ले जाएगा। हमारे मोहल्ले वाले बता रहे थे कि वहां पर 100 रुपए में बहुत ही स्वादिष्ट और भर पेट खाना मिलता हैं। कम से कम 4 बजे तक तो घर पहुँचना ही पड़ेगा न। तभी तो तैयार होकर, चुडियां ख़रीद कर 6 बजे के शो के लिए जा पायेंगे। मैडम, मेरा घरवाला मेरा बहुत ख्याल रखता हैं। देखो, वैलेंटाइन डे कल हैं और वो चार दिन से प्लानिंग कर रहा हैं कि उस दिन क्या-क्या करना हैं!''
ये सब कहते हुए उसके चेहरे पर शर्म की लाली दौड़ रहीं थी...उससे उसकी ख़ुशी संभाले नहीं संभल रही थी।
प्रतिमा मेरे यहां पिछले दस सालों से काम कर रहीं थी। उसकी शादी हुए पंद्रह साल हो गए थे। उसकी बातों से एक तरफ़ तो मन में ख़ुशी हुई कि चलो अच्छा हैं कि उसका पति शादी के इतने सालों बाद भी उससे इतना प्यार करता हैं। इस मामले में बहुत ख़ुशनसीब हैं वो। लेकिन दूसरे ही पल मेरे अपने मन में कुछ टुटन सी महसूस हुई। मैं मन ही मन सोचने लगी कि ये कामवाली बाई हैं। न ज्यादा पढ़ी-लिखी और न ही ज्यादा सुंदर...वो कभी पार्लर जाकर मेकअप नहीं कराती... फ़िर भी इसका पति इसे कितना प्यार करता हैं! मैं पढ़ी-लिखी हूं...सुंदर हूं...हर महीने फेशियल करवाती हूं...योगा क्लास जाकर मैं ने अपने शरीर को मेंटेन किया हुआ हैं...फ़िर भी मेरा पति...पिछले वैलेंटाइन की ही तो बात हैं...वैसे तो वैलेंटाइन डे हमारी संस्कृति में नहीं हैं। लेकिन सोशल मीडिया में हर तरफ़ वैलेंटाइन के बारे में देख-सुनकर मैं ने सोचा कि थोड़ा रोमांटिक होया जाएं। वैलेंटाइन डे के दिन मैं ने घर के बगीचे के फूलों से सुंदर सा बुके बनाया…सुबह-सुबह नई साड़ी पहनकर तैयार होकर...इनके मनपसंद नाश्ता बना कर डायनींग टेबल पर सजाया...ये जैसे ही नाश्ता करने आएं, इनके हाथ में बुके देकर ''हैप्पी वैलेंटाइन'' कहा। मुझे लग रहा था कि मेरा प्रमोद (मेरे पति देव) ये सब देख कर एकदम ख़ुश हो जायेगा। ख़ुशी से मुझे अपनी बाहों में भर लेगा। लेकिन ये तो एकदम गुस्सा हो गए…
''तुम कब से वैलेंटाइन डे मनाने लगी? मुझे ये सब चोचलेबाजी पसंद नहीं हैं!''
उनके ऐसा कहते ही वैलेंटाइन डे की मेरी सारी ख़ुशी रफुचक्कर हो गई। मैं ने किसी तरह अपने आप पर कंट्रोल किया ताकि प्रमोद के सामने मेरी आंखों में पानी न आएं। नहीं तो और ज्यादा गुस्सा हो जायेंगे कि मैं ने ऐसा क्या कह दिया जो तुम्हें रोना आ गया। सुबह-सुबह मूड ख़राब कर दिया! यह घटना याद आते ही मेरा मन कड़वाहट से भर गया। पत्नी से ऐसी भी क्या बेरुखी कि वैलेंटाइन डे के दिन पत्नी द्वारा दिया हुआ बुके ले भी नहीं सकते। अरे, ख़ुद मत दो लेकिन यदि कोई प्यार से दे तो लेने में भी दिक्कत हैं साहब को! प्रमोद को लगता हैं पत्नी को रहने के लिए घर, पहनने के लिए अच्छे-अच्छे कपड़े और खाने-पीने की पूरी व्यवस्था कर दी मतलब पति का फ़र्ज पूरा हो गया। इन सब के अलावा भी पत्नी को प्यार के दो शब्द चाहिए ये बात इनकी डिक्शनरी में थी ही नहीं। मजाल हैं कभी मुंह से I love you कहा हो! यदि मैं ने कभी बोल दिया तो कहते हैं कि जो प्यार करते हैं वो बोल कर नहीं बताते। अब इन्हें कैसे समझाऊं कि यदि आप बोलेंगे नहीं तो मुझे पता कैसे चलेगा? वैसे प्रमोद मुझे किसी चीज की कमी नहीं होने देते। लेकिन ये इंसानी मन हैं...मेरे कान भी I love you सुनना चाहते हैं। लेकिन कहते हैं न कि भैंस के आगे बीन बजाने से कोई फ़ायदा नहीं होता। मेरी किटी पार्टी की सभी सहेलियाँ अपने बर्थ डे और एनिवर्सरी के गिफ़्ट बताती हैं, वैलेंटाइन डे सेलिब्रेशन के बारे में बताती हैं तो मैं अंदर ही अंदर मन मसोसकर रह जाती हूं। क्या बताऊं मैं अपनी सहेलियों को? ये बताऊं कि मेरे पति को ये सब चोचलेबाजी लगती हैं! दूसरों के सामने मेरे पति की बुराई थोड़े ही कर सकती हूं!! यहीं सब सोचते-सोचते रात को चुपचाप सो गई। पता था कि मेरे नसीब में वैलेंटाइन डे का कोई गिफ़्ट तो दूर की बात हैं, इस दिन कोई मुझे विश भी करनेवाला नहीं हैं! दूसरे दिन प्रमोद रोज की तरह तैयार होकर नाश्ता करके बिना कुछ कहे ऑफ़िस चले गए। मन बहलाने के लिए फेसबुक खोला तो वो वैलेंटाइन डे की शुभकामनाओं से भरा था। मेरा मन ज्यादा उदास हो गया। सोचा चलो व्हाट्स एप्प पर ही सहेलियों से थोड़ी सी चैटिंग कर लेती हूं, तो वहां भी सब वैलेंटाइन डे मना रही थी। मन में बार-बार यहीं ख्याल आ रहे थे कि मेरा ही पति इतना बेरुखा क्यों हैं? क्या सही में उनके मन में मेरे लिए प्यार की भावना नहीं हैं? प्रतिमा की बाते याद करके तो मन कर रहा था कि जी भर के रो लूं! मैं मन ही मन गुनगुनाने लगी, ''पल भर के लिए कोई हमे प्यार कर ले...झूठा ही सही...!!''
प्यार के दो शब्द सुनने के लिए कान जैसे तरस गए थे। लेकिन हम किसी से प्यार करने के लिए जबरदस्ती थोड़ी ना कर सकते! पूरा दिन इसी तरह उदासी में ही बीता। शाम को ये ऑफ़िस से आए तो रोज से भी ज्यादा चुप-चुप से थे। मैं घबरा गई।
''आखिरकार क्या बात हैं? आपकी तबीयत तो ठीक हैं न?'' मैं ने चाय का कप पकड़ाते हुए इनसे पूछा।
''हां, बिल्कुल ठीक हैं। तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो?''
''आप कुछ नाराज से दिख रहे हैं, इसलिए पूछ लिया।''
''तुम्हारी सभी टेस्ट्स की रिपोर्ट्स आ गई हैं। तुम्हें जल्द से जल्द किडनी ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा। हमारे पास वक्त बहुत कम हैं। ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ता। हम और इंतजार नहीं कर सकते।''
मुझे एकदम रोना आ गया। ''इतनी जल्दी कैसे संभव हैं। किडनी कोई बाजार में मिलती हैं क्या, जो ख़रीद लेंगे? मैं ने सुना हैं कि कई बार किडनी मिलने में ही सालों लग जाते हैं। इतनी जल्दी कौन देगा मुझे किडनी?'' प्रमोद ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और बोले, ''शिल्पा, मैं हूं ना! मेरे होते हुए तुम्हें किसी बात की फिक्र करने की कोई जरुरत नहीं हैं। पिछले एक महीने से मैं उसी काम में लगा हुआ हूं। पैसों का भी इंतज़ाम हो गया हैं।''
''आप समझ क्यों नहीं रहे? मुझे पता हैं कि आप पैसों का इंतज़ाम कर ही लोगे। लेकिन सवाल अभी भी वहीं का वहीं हैं कि किडनी कौन देगा?'' ''शिल्पा, मैं ने कहा न कि मैं हूं ना! मेरे ख्याल से मेरी एक किडनी काफ़ी होगी तुम्हारे लिए। डॉक्टर ने मेरे सभी टेस्ट्स कर लिए हैं। मेरी किडनी तुम्हारी किडनी से मैच कर रही हैं।''
''लेकिन इससे आपको तकलीफ़ होगी। शरीर के एक पार्ट के निकलने से शरीर में कुछ तो कमजोरी आती ही हैं न! न बाबा न मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से आपको कोई भी तकलीफ़ हो।''
''कैसी बात कर रही हो तुम? यदि मुझे किडनी की जरुरत होती तो क्या तुम मुझे किडनी नहीं देती?''
''ये भी कोई पूछने की बात हैं? यदि मेरी एक किडनी देने से आपकी जान बच सकती हैं तो ये तो मेरा सौभाग्य होगा कि मैं आपके कुछ काम आ सकी।''
''तो मेरा भी यह सौभाग्य हैं कि मैं मेरी शिल्पा के कुछ काम आउंगा। मेरी जान, मेरी किडनी ही मेरी ओर से तुम्हें मेरा वैलेंटाइन गिफ़्ट हैं!!'' मुझे और भी जोर से रोना आ गया। मैं भावातिरेक में उनके गले लग गई और रोते-रोते ही कहा, ''I love you प्रमोद… I love you!!''
मुझे याद आया कि मेरी प्रिय सहेली उमा जो अपने पति के प्यार की डींगे हाँकती रहती थी एक अपघात में उसे जब खून की जरुरत पड़ी तो उसके पति ने साफ़-साफ़ शब्दों में खून देने से मना कर दिया था कि इससे शरीर में कमजोरी आ जायेगी। जबकि उसका ब्लड ग्रुप o- होने से खून मिलने में दिक्कत आ रहीं थी और डॉक्टर ने कह दिया था कि खून का इंतज़ाम जल्द करना ज़रुरी हैं। उसके पति का ब्लड ग्रुप o- होने के बावजूद वो खून देने तैयार नहीं हुए थे। और मेरा पति, जिसके लिए मैं आज तक सोचती थी कि वो मुझ से प्यार ही नहीं करता...बहुत बेरुखा इंसान हैं, वो मुझे किडनी देने तैयार हो गया। अब मैं भी मेरी सहेलियों को सर ऊंचा करके बता सकती हूं कि मेरे पति ने तो मुझे वैलेंटाइन डे का इतना अनमोल गिफ़्ट दिया हैं, इतना अनमोल गिफ़्ट दिया हैं...जितना आज तक किसी के पति ने नहीं दिया होगा!!!
''तुम कब से वैलेंटाइन डे मनाने लगी? मुझे ये सब चोचलेबाजी पसंद नहीं हैं!''
उनके ऐसा कहते ही वैलेंटाइन डे की मेरी सारी ख़ुशी रफुचक्कर हो गई। मैं ने किसी तरह अपने आप पर कंट्रोल किया ताकि प्रमोद के सामने मेरी आंखों में पानी न आएं। नहीं तो और ज्यादा गुस्सा हो जायेंगे कि मैं ने ऐसा क्या कह दिया जो तुम्हें रोना आ गया। सुबह-सुबह मूड ख़राब कर दिया! यह घटना याद आते ही मेरा मन कड़वाहट से भर गया। पत्नी से ऐसी भी क्या बेरुखी कि वैलेंटाइन डे के दिन पत्नी द्वारा दिया हुआ बुके ले भी नहीं सकते। अरे, ख़ुद मत दो लेकिन यदि कोई प्यार से दे तो लेने में भी दिक्कत हैं साहब को! प्रमोद को लगता हैं पत्नी को रहने के लिए घर, पहनने के लिए अच्छे-अच्छे कपड़े और खाने-पीने की पूरी व्यवस्था कर दी मतलब पति का फ़र्ज पूरा हो गया। इन सब के अलावा भी पत्नी को प्यार के दो शब्द चाहिए ये बात इनकी डिक्शनरी में थी ही नहीं। मजाल हैं कभी मुंह से I love you कहा हो! यदि मैं ने कभी बोल दिया तो कहते हैं कि जो प्यार करते हैं वो बोल कर नहीं बताते। अब इन्हें कैसे समझाऊं कि यदि आप बोलेंगे नहीं तो मुझे पता कैसे चलेगा? वैसे प्रमोद मुझे किसी चीज की कमी नहीं होने देते। लेकिन ये इंसानी मन हैं...मेरे कान भी I love you सुनना चाहते हैं। लेकिन कहते हैं न कि भैंस के आगे बीन बजाने से कोई फ़ायदा नहीं होता। मेरी किटी पार्टी की सभी सहेलियाँ अपने बर्थ डे और एनिवर्सरी के गिफ़्ट बताती हैं, वैलेंटाइन डे सेलिब्रेशन के बारे में बताती हैं तो मैं अंदर ही अंदर मन मसोसकर रह जाती हूं। क्या बताऊं मैं अपनी सहेलियों को? ये बताऊं कि मेरे पति को ये सब चोचलेबाजी लगती हैं! दूसरों के सामने मेरे पति की बुराई थोड़े ही कर सकती हूं!! यहीं सब सोचते-सोचते रात को चुपचाप सो गई। पता था कि मेरे नसीब में वैलेंटाइन डे का कोई गिफ़्ट तो दूर की बात हैं, इस दिन कोई मुझे विश भी करनेवाला नहीं हैं! दूसरे दिन प्रमोद रोज की तरह तैयार होकर नाश्ता करके बिना कुछ कहे ऑफ़िस चले गए। मन बहलाने के लिए फेसबुक खोला तो वो वैलेंटाइन डे की शुभकामनाओं से भरा था। मेरा मन ज्यादा उदास हो गया। सोचा चलो व्हाट्स एप्प पर ही सहेलियों से थोड़ी सी चैटिंग कर लेती हूं, तो वहां भी सब वैलेंटाइन डे मना रही थी। मन में बार-बार यहीं ख्याल आ रहे थे कि मेरा ही पति इतना बेरुखा क्यों हैं? क्या सही में उनके मन में मेरे लिए प्यार की भावना नहीं हैं? प्रतिमा की बाते याद करके तो मन कर रहा था कि जी भर के रो लूं! मैं मन ही मन गुनगुनाने लगी, ''पल भर के लिए कोई हमे प्यार कर ले...झूठा ही सही...!!''
प्यार के दो शब्द सुनने के लिए कान जैसे तरस गए थे। लेकिन हम किसी से प्यार करने के लिए जबरदस्ती थोड़ी ना कर सकते! पूरा दिन इसी तरह उदासी में ही बीता। शाम को ये ऑफ़िस से आए तो रोज से भी ज्यादा चुप-चुप से थे। मैं घबरा गई।
''आखिरकार क्या बात हैं? आपकी तबीयत तो ठीक हैं न?'' मैं ने चाय का कप पकड़ाते हुए इनसे पूछा।
''हां, बिल्कुल ठीक हैं। तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो?''
''आप कुछ नाराज से दिख रहे हैं, इसलिए पूछ लिया।''
''तुम्हारी सभी टेस्ट्स की रिपोर्ट्स आ गई हैं। तुम्हें जल्द से जल्द किडनी ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा। हमारे पास वक्त बहुत कम हैं। ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ता। हम और इंतजार नहीं कर सकते।''
मुझे एकदम रोना आ गया। ''इतनी जल्दी कैसे संभव हैं। किडनी कोई बाजार में मिलती हैं क्या, जो ख़रीद लेंगे? मैं ने सुना हैं कि कई बार किडनी मिलने में ही सालों लग जाते हैं। इतनी जल्दी कौन देगा मुझे किडनी?'' प्रमोद ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और बोले, ''शिल्पा, मैं हूं ना! मेरे होते हुए तुम्हें किसी बात की फिक्र करने की कोई जरुरत नहीं हैं। पिछले एक महीने से मैं उसी काम में लगा हुआ हूं। पैसों का भी इंतज़ाम हो गया हैं।''
''आप समझ क्यों नहीं रहे? मुझे पता हैं कि आप पैसों का इंतज़ाम कर ही लोगे। लेकिन सवाल अभी भी वहीं का वहीं हैं कि किडनी कौन देगा?'' ''शिल्पा, मैं ने कहा न कि मैं हूं ना! मेरे ख्याल से मेरी एक किडनी काफ़ी होगी तुम्हारे लिए। डॉक्टर ने मेरे सभी टेस्ट्स कर लिए हैं। मेरी किडनी तुम्हारी किडनी से मैच कर रही हैं।''
''लेकिन इससे आपको तकलीफ़ होगी। शरीर के एक पार्ट के निकलने से शरीर में कुछ तो कमजोरी आती ही हैं न! न बाबा न मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से आपको कोई भी तकलीफ़ हो।''
''कैसी बात कर रही हो तुम? यदि मुझे किडनी की जरुरत होती तो क्या तुम मुझे किडनी नहीं देती?''
''ये भी कोई पूछने की बात हैं? यदि मेरी एक किडनी देने से आपकी जान बच सकती हैं तो ये तो मेरा सौभाग्य होगा कि मैं आपके कुछ काम आ सकी।''
''तो मेरा भी यह सौभाग्य हैं कि मैं मेरी शिल्पा के कुछ काम आउंगा। मेरी जान, मेरी किडनी ही मेरी ओर से तुम्हें मेरा वैलेंटाइन गिफ़्ट हैं!!'' मुझे और भी जोर से रोना आ गया। मैं भावातिरेक में उनके गले लग गई और रोते-रोते ही कहा, ''I love you प्रमोद… I love you!!''
मुझे याद आया कि मेरी प्रिय सहेली उमा जो अपने पति के प्यार की डींगे हाँकती रहती थी एक अपघात में उसे जब खून की जरुरत पड़ी तो उसके पति ने साफ़-साफ़ शब्दों में खून देने से मना कर दिया था कि इससे शरीर में कमजोरी आ जायेगी। जबकि उसका ब्लड ग्रुप o- होने से खून मिलने में दिक्कत आ रहीं थी और डॉक्टर ने कह दिया था कि खून का इंतज़ाम जल्द करना ज़रुरी हैं। उसके पति का ब्लड ग्रुप o- होने के बावजूद वो खून देने तैयार नहीं हुए थे। और मेरा पति, जिसके लिए मैं आज तक सोचती थी कि वो मुझ से प्यार ही नहीं करता...बहुत बेरुखा इंसान हैं, वो मुझे किडनी देने तैयार हो गया। अब मैं भी मेरी सहेलियों को सर ऊंचा करके बता सकती हूं कि मेरे पति ने तो मुझे वैलेंटाइन डे का इतना अनमोल गिफ़्ट दिया हैं, इतना अनमोल गिफ़्ट दिया हैं...जितना आज तक किसी के पति ने नहीं दिया होगा!!!
काश ! ऐसा ही दांपत्य सुख हर किसी को नसीब होता । दिखावा नहीं वास्तविक स्नेह हो । रिश्ता चाहे जो भी हो परंतु डोर कच्ची ना ।
जवाब देंहटाएंडांट के साथ प्रेम भी हो। उपेक्षा के साथ आदर भी हो ।जीवन के दोनों रंग साथ-साथ हो।
बहुत सुंदर सृजन है , आपका ज्योति दी।
शशी भाई, जिस इंसान को जीते जी सच्चा प्यार मिल जाएं...वो दुनिया का सबसे सुखी और नशिबवाला इंसान होता हैं। लेकिन सच्चा प्यार बहुत कम लोगों के नशीब में होता हैं।
हटाएंरुला दिया बहन ज्योति आपने...
जवाब देंहटाएंये कहानी मेरी और यशोदा की है
सादर..
दिग्विजय भाई,इसका मतलब क्या यशोदा दीदी की किडनी...उन्हें कोई अन्य बीमारी हैं?
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.02.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3610 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लोई बहुत बहुत धन्यवाद, दिलबाग भाई।
हटाएंVery nice story, you have presented the feelings and thoughts of an woman very nicely.very touchy one also.
जवाब देंहटाएंएक औरत के मनोभाव का सुंदर चित्रण ज्योति जी ,आज के इस दिखावे वाले प्यार के दौड़ में कभी कभी मन उलझता हैं इन दिखावों में ,कभी कभी इच्छा होती है कि हमारा साथी भी अपना प्यार जताएं।मगर सच कहे तो असली प्यार हमारे ही समय में था। बिना कुछ कहे सब कुछ कह जाने वाला। बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति ,सादर नमन आपको
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (14-02-2020) को "प्रेम दिवस की बधाई हो" (चर्चा अंक-3611) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
आँचल पाण्डेय
मेरी रचना को 'चर्चा मंच' में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,आंचल दी।
हटाएंवाह!ज्योति ,बहुत सुंदर 👌👌 सही है ,सच्चा प्रेम दिखावा नहीं करता कभी ।
जवाब देंहटाएंहृदय स्पर्शी और बहुत सुंदर अनमोल सा अहसास ज्योति बहन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
बहुत सुन्दर भावप्रवण कहानी ज्योति जी सच में आजकल तो प्यार को मंहगे उपहारों से ही मापा जा रहा है .....आपकी कहानी दिल को छू गयी
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब।
mam tanik filmi story h pr bahut badhya h
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