हम बच्चों को ढेर सारी क्लासेस में भेजते हैं ताकि हमारा बच्चा सुपर हीरो बन सके...लेकिन अफ़सोस लाइफ स्किल्स नहीं सिखाते!! नहीं सिखाते कि अचानक आग लगने पर क्या करना चाहिए...
हम बच्चों को किताबी ज्ञान रटना सिखाते हैं...स्कूल से आया नहीं कि ट्यूशन क्लास भेजते हैं...ढेर सारी अन्य क्लासेस में भेजते हैं ताकि हमारा बच्चा सुपर हीरो बन सके...लेकिन अफ़सोस लाइफ स्किल्स नहीं सिखाते!! नहीं सिखाते कि विपरीत परिस्थितियों में शांत चित्त रह कर मुसीबतों का सामना कैसे करें? बच्चे ही क्यों कई वयस्कों को आज भी पता नहीं हैं कि अचानक आग लगने पर क्या करना चाहिए ताकि अपनी खुद की और अन्य लोगों की जान बच सके। मई 19 में हुए सुरत अग्निकांड में यदि उन बच्चों को लाइफ स्किल्स सिखाई गई होती तो 21 बच्चे मौत के मुंह में नहीं समाते! आग से बचाव के लिए विशेषज्ञों के मुताबिक निम्न बातों की सभी को जानकारी होना आवश्यक हैं...
आग यदि कपड़े, कागज़, लकड़ी आदि में लगे तो तुरंत पानी डालें। लेकि आग यदि तेल जैसी वस्तुओं में लगे तो पानी न डाले। उस पर नमक डाल कर बुझाएं।
• आग लगने पर फायर बिग्रेड को फोन करे। फायर बिग्रेड की गाड़ी को पहुंचने में थोड़ा समय लगता हैं। इसलिए सुरक्षा हमारी जागरुकता पर निर्भर करती हैं।
• आग लगने पर सबसे पहले खुद की सुरक्षा करे फ़िर परिवार के अन्य सदस्यों को बचाएं। ये स्वार्थ नहीं हैं! यदि खुद ही नहीं बचे तो अन्य लोगों को कैसे बचायेंगे?
• आग लगने पर सबसे पहले झुक जाएं...क्योंकि आग हमेशा उपर की ओर फैलती हैं।
• तुरंत बाहर चले जाएं। यदि कमरे में ज्यादा लोग हो तो जो दरवाजे की तरफ़ हैं उसे पहले बाहर जाने दे, मतलब लाइन में एक के बाद एक बाहर निकले। इससे भगदड़ नहीं मचेगी और ज्यादा लोग सुरक्षित जल्दी से बाहर निकल पायेंगे। लिफ्ट का प्रयोग न करे।
• बाहर जाने का दरवाजा यदि बंद हैं तो उसे खोलने के लिए घुटने के बल चल कर जाएं। यदि बाहर नहीं जा सकते तो खिड़कीयां खोल दे ताकि ताजी हवा अंदर आ सके।
• यदि कमरे में धुआ फैल गया हैं तो सभी अपने-अपने नाक पर कोई भी सुती कपड़ा गीला करके रखें जिससे कार्बन के कण अंदर नहीं जायेंगे और आप अच्छे से सांस ले सकेंगे। जितना धुआं सांसों में जायेगा उतनी स्थिति प्रतिकूल हो जायेगी।
• गलती से भी कोई भी इलेक्ट्रिक स्विच या अप्लायंसेस ऑन न करे। यहां तक की पंखे भी बंद कर दे। आग कहीं से भी उठती दिखे मेन स्विच बंद कर दे क्योंकि बिजली के तार आग जल्दी पकडते हैं।
• घर में दीपक या अगरबत्ती जल रही हैं तो उसे भी बुझा दे।
• यदि कपड़े या लकड़ी आदि में आग लगी हो तो पानी डाल कर बुझा सकते हैं। लेकिन यदि आग शॉर्ट शर्किट की वजह से लगी हैं पानी न डाले क्योंकि इससे करंट लग सकता हैं।
• अपने उपर के कपड़े उतार कर फेंक दे क्योंकि आग उपर के कपड़ों में जल्दी लगती हैं। जलने के बाद वे जिस्म से चिपक कर बहुत तकलीफ़ देते हैं। उस वक्त ये न सोचे कि कोई क्या कहेगा क्योंकि जान हैं तो जहान हैं!
• यदि उपर की मंजिल पर आग लगी हैं और बाहर निकलने का रास्ता बंद हैं तो किसी मजबुत रस्सी के सहारे से खिडकी से नीचे उतरे। जाहीर हैं कि घटनास्थल पर ऐसी रस्सी शायद ही मिले! ऐसे में अपने आस-पास जो भी कपड़े हैं जैसे की चादर या पडदे उन से रस्सी बना सकते हैं। नहीं तो वहां पर मौजूद लोगों ने जो भी कपड़े पहने हो उनसे रस्सी बनायें। जैसे यदि महिलायें हैं तो वे अपनी साड़ी खोल कर (पेटिकोट और ब्लाउज तो पहनी हैं ही!) साड़ी से रस्सी बना सकती हैं। पुरुष या बच्चे हैं तो वे अपनी जींस में पेन आदि से छेद करके उसमें बाइक आदि के चाबियों की रींग फसाकर रस्सी बना सकते हैं। हाल ही में सुरत अग्निकांड में वहां पर उपस्थित बच्चों के पास रस्सी नहीं थी। लेकिन बच्चे जींस पहने हुए थे। उन बच्चों को जींस से रस्सी बनाने की आयडिया रहती तो जो कई बच्चे खिड़की से कुदकर जख्मी हुए वे जख्मी न हुए होते, सकुशल नीचे उतर जाते!!
• यदि कोई व्यक्ति आग से झुलस गया हो तो यथाशीघ्र तो उसे जमीन पर लिटा कर कंबल या भारी कपड़े में लपेटे।
• सिलेंडर कभी फटता नहीं हैं। आग के कारण सिलेंडर का तापमान बढ़ने से उसमें धमाका होता हैं। यदि संभव हो तो गैस रेग्युलेटर को बंद कर दे। यदि रेग्युलेटर को बंद करना संभव न हो तो किसी बड़ी और मोटी चादर को गीली करके अपने हाथ चादर के अंदर की ओर रखते हुए चादर को सिलेंडर के उपर लपेट दे। इससे आग बुझ जायेगी। सिलेंडर का तापमान न बढे इसलिए उस पर लगातार पानी भी डाल सकते हैं। सिलेंडर की आग कैसे बुझाई जाती हैं यह सिखने के लिए आप यू-ट्युब पर https://www.youtube.com/watch?v=y8mcBwC5sGI&list=PLe6hVrkBuYWT6M38-YGE_v1I46KgSEB5g इस लिंक पर क्लिक कर देख सकते हैं।
आग न लगे इसके लिए पहले से कर सकते हैं ये उपाय-
• आजकल तकरीबन हर जगह आग बुझने के अग्निशामक यंत्र लगे होते हैं। लेकिन अफ़सोस हमें इन्हें चलाना नहीं आता। You Tube पर अग्निशामक यंत्र कैसे चलाएं ऐसा सर्च करके इसके बारे में जानकारी ले सकते हैं। क्योंकि पता नहीं कब, कहां और कैसे इन्हें चलाने की नौबत आ जाएं।
• शॉर्ट सर्किट से आग लगने का मुख्य कारण हैं वायरिंग और लोड पर ध्यान न देना। हर 5 साल में इलेक्ट्रिशियन को बुला कर वायरिंग चेक करवानी चाहिए। साथ ही घर में दो बोर्ड बना कर लोड को बांट दे ताकि मेन सर्किट पर पूरा लोड न आएं।
• वायरिंग़ करवाते समय हमेशा ब्रांडेड वायर ही लगवाये।
• एक सॉकेट में एक ही उपकरण कनेक्ट करें। मल्टी प्लग की मदद से कई उपकरणों को जोड़ने से ओवरलोडिंग का खतरा बढ़ जाता है।
• एसी, फ्रिज, कंप्यूटर, टीवी, टुल्लू पंप और ओव्हन जैसी चिजों के लिए पावरस्विच लगवायें। इन चिजों में जरा सी भी ख़राबी आने पर उन की रिपेयरिंग करवाते रहना चाहिए।
• जब भी एसी की सर्विस कराएं, ट्रांसफॉर्मर का प्लग खुलवाकर चेक करवाएं कि कहीं कोई तार ढीली तो नहीं। सामान्यत: तारों के ढिला होने से ही स्पार्किंग की वजह से एसी में आग लगती हैं। एसी को रिमोट से बंद करने के बाद उसकी मेन बटन (MCB) को भी बंद करें।
• कार में एक छोटा सा फायर एक्सटिंग्विशर रखे। नहीं तो कम से कम छोटी हथौडी या रॉड जरुर रखनी चाहिए ताकि आग लगने पर शीशा तोड़ सके। कार में आग लगने पर यदि किसी कारणवश दरवाजा नहीं खुल रहा हैं तो अगली सीट के हेड रेस्ट को निकाल कर उससे या गीयर लॉक से भी शीशा तोड़ कर बाहर निकला जा सकता हैं। यदि कुछ न मिले तो कार के विंडस्क्रीन पर पैरों का इस्तेमाल करके जोर का धक्का मारें।
• कभी भी किसी अनधिकृत डीलर से एलपीजी/सीएनजी किट कार में फिट न कराएं।
इन छोटे-छोटे उपायों से आग से होने वाले भयंकर नुकसान से जान-माल की रक्षा की जा सकती हैं।
आग यदि कपड़े, कागज़, लकड़ी आदि में लगे तो तुरंत पानी डालें। लेकि आग यदि तेल जैसी वस्तुओं में लगे तो पानी न डाले। उस पर नमक डाल कर बुझाएं।
• आग लगने पर फायर बिग्रेड को फोन करे। फायर बिग्रेड की गाड़ी को पहुंचने में थोड़ा समय लगता हैं। इसलिए सुरक्षा हमारी जागरुकता पर निर्भर करती हैं।
• आग लगने पर सबसे पहले खुद की सुरक्षा करे फ़िर परिवार के अन्य सदस्यों को बचाएं। ये स्वार्थ नहीं हैं! यदि खुद ही नहीं बचे तो अन्य लोगों को कैसे बचायेंगे?
• आग लगने पर सबसे पहले झुक जाएं...क्योंकि आग हमेशा उपर की ओर फैलती हैं।
• तुरंत बाहर चले जाएं। यदि कमरे में ज्यादा लोग हो तो जो दरवाजे की तरफ़ हैं उसे पहले बाहर जाने दे, मतलब लाइन में एक के बाद एक बाहर निकले। इससे भगदड़ नहीं मचेगी और ज्यादा लोग सुरक्षित जल्दी से बाहर निकल पायेंगे। लिफ्ट का प्रयोग न करे।
• बाहर जाने का दरवाजा यदि बंद हैं तो उसे खोलने के लिए घुटने के बल चल कर जाएं। यदि बाहर नहीं जा सकते तो खिड़कीयां खोल दे ताकि ताजी हवा अंदर आ सके।
• यदि कमरे में धुआ फैल गया हैं तो सभी अपने-अपने नाक पर कोई भी सुती कपड़ा गीला करके रखें जिससे कार्बन के कण अंदर नहीं जायेंगे और आप अच्छे से सांस ले सकेंगे। जितना धुआं सांसों में जायेगा उतनी स्थिति प्रतिकूल हो जायेगी।
• गलती से भी कोई भी इलेक्ट्रिक स्विच या अप्लायंसेस ऑन न करे। यहां तक की पंखे भी बंद कर दे। आग कहीं से भी उठती दिखे मेन स्विच बंद कर दे क्योंकि बिजली के तार आग जल्दी पकडते हैं।
• घर में दीपक या अगरबत्ती जल रही हैं तो उसे भी बुझा दे।
• यदि कपड़े या लकड़ी आदि में आग लगी हो तो पानी डाल कर बुझा सकते हैं। लेकिन यदि आग शॉर्ट शर्किट की वजह से लगी हैं पानी न डाले क्योंकि इससे करंट लग सकता हैं।
• अपने उपर के कपड़े उतार कर फेंक दे क्योंकि आग उपर के कपड़ों में जल्दी लगती हैं। जलने के बाद वे जिस्म से चिपक कर बहुत तकलीफ़ देते हैं। उस वक्त ये न सोचे कि कोई क्या कहेगा क्योंकि जान हैं तो जहान हैं!
• यदि उपर की मंजिल पर आग लगी हैं और बाहर निकलने का रास्ता बंद हैं तो किसी मजबुत रस्सी के सहारे से खिडकी से नीचे उतरे। जाहीर हैं कि घटनास्थल पर ऐसी रस्सी शायद ही मिले! ऐसे में अपने आस-पास जो भी कपड़े हैं जैसे की चादर या पडदे उन से रस्सी बना सकते हैं। नहीं तो वहां पर मौजूद लोगों ने जो भी कपड़े पहने हो उनसे रस्सी बनायें। जैसे यदि महिलायें हैं तो वे अपनी साड़ी खोल कर (पेटिकोट और ब्लाउज तो पहनी हैं ही!) साड़ी से रस्सी बना सकती हैं। पुरुष या बच्चे हैं तो वे अपनी जींस में पेन आदि से छेद करके उसमें बाइक आदि के चाबियों की रींग फसाकर रस्सी बना सकते हैं। हाल ही में सुरत अग्निकांड में वहां पर उपस्थित बच्चों के पास रस्सी नहीं थी। लेकिन बच्चे जींस पहने हुए थे। उन बच्चों को जींस से रस्सी बनाने की आयडिया रहती तो जो कई बच्चे खिड़की से कुदकर जख्मी हुए वे जख्मी न हुए होते, सकुशल नीचे उतर जाते!!
• यदि कोई व्यक्ति आग से झुलस गया हो तो यथाशीघ्र तो उसे जमीन पर लिटा कर कंबल या भारी कपड़े में लपेटे।
• सिलेंडर कभी फटता नहीं हैं। आग के कारण सिलेंडर का तापमान बढ़ने से उसमें धमाका होता हैं। यदि संभव हो तो गैस रेग्युलेटर को बंद कर दे। यदि रेग्युलेटर को बंद करना संभव न हो तो किसी बड़ी और मोटी चादर को गीली करके अपने हाथ चादर के अंदर की ओर रखते हुए चादर को सिलेंडर के उपर लपेट दे। इससे आग बुझ जायेगी। सिलेंडर का तापमान न बढे इसलिए उस पर लगातार पानी भी डाल सकते हैं। सिलेंडर की आग कैसे बुझाई जाती हैं यह सिखने के लिए आप यू-ट्युब पर https://www.youtube.com/watch?v=y8mcBwC5sGI&list=PLe6hVrkBuYWT6M38-YGE_v1I46KgSEB5g इस लिंक पर क्लिक कर देख सकते हैं।
आग न लगे इसके लिए पहले से कर सकते हैं ये उपाय-
• आजकल तकरीबन हर जगह आग बुझने के अग्निशामक यंत्र लगे होते हैं। लेकिन अफ़सोस हमें इन्हें चलाना नहीं आता। You Tube पर अग्निशामक यंत्र कैसे चलाएं ऐसा सर्च करके इसके बारे में जानकारी ले सकते हैं। क्योंकि पता नहीं कब, कहां और कैसे इन्हें चलाने की नौबत आ जाएं।
• शॉर्ट सर्किट से आग लगने का मुख्य कारण हैं वायरिंग और लोड पर ध्यान न देना। हर 5 साल में इलेक्ट्रिशियन को बुला कर वायरिंग चेक करवानी चाहिए। साथ ही घर में दो बोर्ड बना कर लोड को बांट दे ताकि मेन सर्किट पर पूरा लोड न आएं।
• वायरिंग़ करवाते समय हमेशा ब्रांडेड वायर ही लगवाये।
• एक सॉकेट में एक ही उपकरण कनेक्ट करें। मल्टी प्लग की मदद से कई उपकरणों को जोड़ने से ओवरलोडिंग का खतरा बढ़ जाता है।
• एसी, फ्रिज, कंप्यूटर, टीवी, टुल्लू पंप और ओव्हन जैसी चिजों के लिए पावरस्विच लगवायें। इन चिजों में जरा सी भी ख़राबी आने पर उन की रिपेयरिंग करवाते रहना चाहिए।
• जब भी एसी की सर्विस कराएं, ट्रांसफॉर्मर का प्लग खुलवाकर चेक करवाएं कि कहीं कोई तार ढीली तो नहीं। सामान्यत: तारों के ढिला होने से ही स्पार्किंग की वजह से एसी में आग लगती हैं। एसी को रिमोट से बंद करने के बाद उसकी मेन बटन (MCB) को भी बंद करें।
• कार में एक छोटा सा फायर एक्सटिंग्विशर रखे। नहीं तो कम से कम छोटी हथौडी या रॉड जरुर रखनी चाहिए ताकि आग लगने पर शीशा तोड़ सके। कार में आग लगने पर यदि किसी कारणवश दरवाजा नहीं खुल रहा हैं तो अगली सीट के हेड रेस्ट को निकाल कर उससे या गीयर लॉक से भी शीशा तोड़ कर बाहर निकला जा सकता हैं। यदि कुछ न मिले तो कार के विंडस्क्रीन पर पैरों का इस्तेमाल करके जोर का धक्का मारें।
• कभी भी किसी अनधिकृत डीलर से एलपीजी/सीएनजी किट कार में फिट न कराएं।
इन छोटे-छोटे उपायों से आग से होने वाले भयंकर नुकसान से जान-माल की रक्षा की जा सकती हैं।
Aapne jo first paragraph me likha hai ki "school me bachhon ko ratta marna sikha rahe hain" Ye bilkul 100% true hai.
जवाब देंहटाएंKyonki sabhi log comptition me padhe hain, Sabhi ke mata pita ko yah nahi janna hai ki unka beta kya karna chahte hai, Bas unhe to bagal waale ke bachhe se matlab hai ki bo kya kar raha hai.
Aapki jankari aag se bachne ki bahut achhi lagi.
यहीं तो विडंबना हैं कि माता-पिता अपने बच्चे को ऑल राउंडर तो बनाना चाहते हैं लेकिन उनका ख्याल जरुरी बातों की तरफ नहीं हैं।
हटाएंबहुत उपयोगी लेख यथार्थ और सटीक।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (09-08-2019) को "रिसता नासूर" (चर्चा अंक- 3422) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
हटाएंबहुत ही लाजवाब ज्ञानवर्धक लेख...
जवाब देंहटाएंसच में ये सब बातें भी स्कूली शिक्षा में शामिल हो तो ऐसे हादसों में अपनी रक्षा कर सकते हैं ...
सुधा दी, विदेशों में ये सब बातें स्कूली शिक्षा में शामिल होती हैं। लेकिन हमारे यहां इन जरुरी चीजों का स्कूली शिक्षा में समावेश न होने से जीवन जीने की मुलभूत बातें हमें पता नहींं होती। इसलिए ही इस लेख के माध्यम से ये छोटी सी कोशिश की हैं।
हटाएंबहुत उपयोगी जानकारी दी आपने ज्योति जी ...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंBahut upyogi lekh
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक जानकारी
जवाब देंहटाएंजानकारीयुक्त उपयोगी लेख
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ज्योति जी, आपने वास्तविक जीवन में काम आने वाला एक बहुत ही उपयोगी और ज्ञानवर्धक लेख लिखा है, जो प्रत्येक व्यक्ति के काम आयेगा
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
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जवाब देंहटाएंvery nice good motivational quotes
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
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